Friday, September 26, 2008

shayari

  1. दर्द को बयान करना चाहतो अल्फाज़ ना मिले। अकेलेपन को हटाना चाहा कोई साथी ना मिला।
    अजीब है यह ज़िन्दगी भी, जो भी चाहा इस ज़िन्दगी से वही ना मिला।
    फिर भी जी रहा हूँ इसी जिंदगी को जैसे इससे कोई शिकायत ही नही।
    क्या हुआ जो हम ने जिसे चाहा वो हमे मिली ही नही।
  2. जिंदगी चलते रहने का नाम है। अजीब रवायत है यह।
    दो घड़ी बैठ सकता नही कोई इस जिंदगी में। जिंदगी किसी के लिए रूकती ही नही।

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Day 496

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